- Paperback:?136 pages
- Publisher:?MyBooks Publication; 1 edition (2017)
- Language:?Hindi
- ISBN-10:?9386474115
- ISBN-13:?978-9386474117
- Product Dimensions:?14 x 0.5 x 22 cm
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अनुराग Anuurag
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जीवन के कठिन संघर्षो से जीतकर वो बड़ा हुआ था और उसके सपने कोई बड़े नहीं थे। वो तो एक साधारण जीवन जीने वाला साधारण आदमी था, फिर अचानक वो अपराधी कैसे बन गया या बना दिया गया? ४९७अ ऐसी ही एक धारा है जो किसी भी साधारण आदमी और उसके परिवार को अपराधी बना सकती है। जो उसके साथ हुआ वो किसी के भी साथ कभी भी हो सकता है। दोष किसका है, किसका नहीं यह न्यायालय बताएगा मगर तब तक दोष पुरुष का रहेगा। और जब तक ये सिद्ध होगा दोष पुरुष का नहीं था तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जो दोष साबित ना होने पर महिला को सज़ा दे इसलिए यह गोरखधंधा चलता रहेगा। वो साधारण सा लड़का आखिर अपराधी बना कैसे? क्या परिस्थियाँ थी? और अपराध आखिर था क्या?
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